दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर सुनवाई होने तक दिल्ली शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में उनकी जमानत पर रोक लगा दी है। केजरीवाल, जिन्हें 21 मार्च को दिल्ली शराब नीति तैयार करते समय मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में ईडी ने गिरफ्तार किया था, को आज तिहाड़ जेल से रिहा किया जाना था। ईडी ने केजरीवाल के तिहाड़ जेल से निकलने से कुछ घंटे पहले ही निचली अदालत के जमानत आदेश को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। याचिका को न्यायमूर्ति सुधीर कुमार जैन और न्यायमूर्ति रविंदर डुडेजा की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए पेश किया गया था। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि निचली अदालत के जमानत आदेश पर तब तक कार्रवाई नहीं की जाएगी, जब तक कि ईडी की याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती। कल दिल्ली की एक अदालत ने केजरीवाल को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी, इस शर्त के साथ कि वह जांच में बाधा नहीं डालेंगे या गवाहों को प्रभावित नहीं करेंगे। अदालत ने केजरीवाल की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि ईडी ने 21 मार्च को उनकी गिरफ़्तारी के बाद से पर्याप्त सबूत पेश नहीं किए हैं। ट्रायल कोर्ट में कई दौर की सुनवाई और बार-बार ज़मानत से इनकार के बावजूद, इस हालिया घटनाक्रम ने उनकी रिहाई में और देरी की है।
केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं ने आज शाम 4 बजे तिहाड़ जेल जाकर उनका अभिवादन करने की योजना बनाई थी। इस बीच, सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केजरीवाल के इस्तीफ़े की मांग जारी रखी है, हालाँकि उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया है।