भारत के 30वें सेना प्रमुख बने लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी

 देश के 30वें सेना प्रमुख के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने रविवार को कार्य भार संभाल लिया। उन्होंने चार दशकों से अधिक राष्ट्र सेवा करने के बाद रविवार को सेवानिवृत्त हुए थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे से कार्यभार संभाला। उन्होंने ऐसे समय में सीओएएस का पदभार संभाला है, जब वैश्विक भू-रणनीतिक वातावरण गतिशील बना हुआ है। साथ ही तकनीकी प्रगति और आधुनिक युद्ध के लगातार बदलते स्वरूप के कारण सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियां और भी स्पष्ट होती जा रही हैं। लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी इसी साल 15 फरवरी को उप सेना प्रमुख नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वह 1 फरवरी, 2022 को सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बनाए गए थे। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल द्विवेदी सैनिक स्कूल रीवा और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला के छात्र रहे हैं। उन्हें 15 दिसंबर, 1984 को भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से जम्मू और कश्मीर राइफल्स की 18वीं बटालियन में नियुक्त किया गया था।

उन्होंने ऑपरेशन रक्षक के दौरान चौकीबल में एक बटालियन की कमान संभाली थी, जो ऑपरेशन राइनो के दौरान मणिपुर में असम राइफल्स का एक सेक्टर था। उन्होंने असम में इंस्पेक्टर जनरल, असम राइफल्स के रूप में भी कार्य किया है। वह भारतीय सैन्य अकादमी में एक प्रशिक्षक के रूप में तैनात रहे हैं। वह सेशेल्स सरकार में सैन्य अताशे और पैदल सेना के महानिदेशक के रूप में तैनात रहे हैं। उन्हें फरवरी, 2020 में IX कोर का कमांडर और अप्रैल, 2021 में सेना स्टाफ (सूचना प्रणाली और समन्वय) के उप प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने ऐसे समय में सीओएएस का पदभार संभाला है, जब वैश्विक भू-रणनीतिक वातावरण गतिशील बना हुआ है, तकनीकी प्रगति और आधुनिक युद्ध के लगातार बदलते चरित्र के कारण सुरक्षा क्षेत्र में चुनौतियां अधिक स्पष्ट होती जा रही हैं। इसलिए उभरते राष्ट्र के लिए सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए परिचालन तैयारियां सीओएएस के लिए एक प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में प्रमुखता से सामने आएंगी। इसके साथ ही असंख्य गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियों के लिए एक केंद्रित प्रतिक्रिया रणनीति भी राष्ट्र की रक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक प्राथमिकता होगी।

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