विकास के लिए मोदी का मंत्र: शिक्षा, कौशल विकास और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा

5 मार्च को “इनवेस्टिंग इन पीपल” थीम पर बजट के बाद एक वेबिनार आयोजित किया गया, इसमें उच्च शिक्षा विभाग के साथ-साथ कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय प्रमुख रूप से शामिल हुआ। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय ने केंद्रीय बजट 2025-26 में घोषित “नेशनल सेन्टर्स ऑफ़ एक्सीलेन्स फॉर स्किलिंग” पर एक विशेष ब्रेकआउट सेशन का आयोजन किया। इस सेशन में राज्य सरकारों, उद्योग जगत, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जो बजट घोषणा के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक रोडमैप तैयार करने के लिए एक साथ आए। वेबिनार के दौरान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि लोगों में निवेश का विजन तीन स्तंभों – शिक्षा, कौशल और स्वास्थ्य सेवा पर आधारित है। 2014 से अब तक हमने 3 करोड़ से अधिक युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया है, 1000 आईटीआई को अपग्रेड करने की योजना की घोषणा की है, और हम वैश्विक भागीदारी के साथ पांच सेन्टर ऑफ़ एक्सीलेन्स स्थापित कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे युवा वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें। माननीय प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि पीएम इंटर्नशिप योजना उद्योगों के साथ साझेदारी करके युवाओं को नए अवसर और व्यावहारिक कौशल प्रदान कर रही है।

अपने समापन भाषण में, भारत सरकार के कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं शिक्षा मंत्रालय के राज्य मंत्री, श्री जयन्त चौधरी ने भारत के युवाओं को भविष्य के लिए तैयार डिजिटल दक्षताओं से लैस करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय एआई रेडीनेस (एसओएआर) प्रोग्राम के लिए स्किलिंग डेवलप कर रहा है, जिसका उद्देश्य कक्षा 6 से ही वोकेशनल ट्रेनिंग के साथ एआई साक्षरता को एकीकृत करना है। मंत्री ने जोर देकर कहा कि एसओएआर राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के कौशल-आधारित शिक्षा के विज़न के अनुरूप है और इसका उद्देश्य कम्प्यूटेशनल थिंकिंग, प्रॉब्लम-सॉल्विंग और इन्डस्ट्री-अलाइन्ड एआई स्किल्ड को बढ़ावा देना है। स्टैकेबल माइक्रो-क्रेडेंशियल्स, डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म और ग्लोबल टेक लीडर्स के साथ साझेदारी के माध्यम से, छात्र फाउंडेशनल एआई लर्निंग से लेकर एडवांस्ड करियर तक सहजता से ट्रांजिशन करने में सक्षम होंगे, जिससे एआई पावरहाउस के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी। उन्होंने आगे कहा कि जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी तेजी से विकसित हो रही है, भारत न केवल एआई-ड्रिवन इन्डस्ट्रीज़ के लिए अपने वर्कफोर्स को तैयार कर रहा है, बल्कि एआई इनोवेटर्स और लीडर्स की अगली पीढ़ी को आकार दे रहा है, जिससे इन्क्लूसिव ग्रोथ और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो रही है।

जैसे-जैसे हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के करीब पहुंच रहे हैं, माननीय मंत्री ने सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि भी की है कि वह शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता के क्षेत्र में महिलाओं के लिए और अधिक अवसर प्रदान करेगी।  “नेशनल सेन्टर्स ऑफ़ एक्सीलेन्स फॉर स्किलिंग” पर ब्रेकआउट सेशन का संचालन मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने किया तथा इसका संयोजन मंत्रालय की आर्थिक सलाहकार सुश्री अर्चना मायाराम ने किया। पैनलिस्टों में वर्ल्ड स्किल सेन्टर्स, ओडिशा की सीईओ सुश्री रश्मिता पांडा, कर्नाटक सरकार की केएसडीसी की सीआईटीई और एमडी सुश्री रागप्रिया, गुजरात सरकार के श्रम, कौशल विकास एवं रोजगार सचिव डॉ. विनोद राव, वर्ल्ड बैंक की लीड एजुकेशनल स्पेशलिस्ट मिस शियाओयान लियांग, सिंगापुर एजुकेशनल कंसल्टिंग ग्रुप के फाउंडर और पार्टनर श्री एन वरप्रसाद, सिंगापुर की आईटीई एजुकेशन सर्विसेज़ के सीईओ श्री सुरेश नटराजन, इंस्टीट्यूट ऑफ कॉम्पिटिटिवनेस के चेयरमैन श्री अमित कपूर, टाटा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स के सीईओ श्री सब्यसाची दास, रिलायंस फाउंडेशन के हेड-स्किलिंग श्री सुदर्शन और जेएंडके सीमेंट्स लिमिटेड के वोकेशनल एजुकेशन एंड स्किल हेड श्री आशीष सिंह शामिल थे। कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी ने चर्चाओं का संचालन करते हुए उद्योग साझेदारी और अंतरराष्ट्रीय स्टेकहोल्डर्स के साथ जुड़कर ग्लोबल एक्सपर्टाइज़ का लाभ उठाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने राज्य सरकारों और शिक्षाविदों के साथ मजबूत साझेदारी बनाने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डाला और कहा कि बजट घोषणा के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स को एक साथ आना चाहिए।

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