पश्चिम बंगाल में सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे आम जनता पर महंगाई का बोझ बढ़ता जा रहा है। सबसे अधिक असर आलू की कीमतों पर देखने को मिल रहा है, जो बंगाली व्यंजनों का अभिन्न हिस्सा है। शुक्रवार को खुदरा बाजारों में “ज्योति” किस्म का आलू 36 से 38 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि “चंद्रमुखी” किस्म 40 रुपये प्रति किलो की दर से बेची जा रही है।
सर्दियों के आगमन के साथ सब्जियों की कीमतों में गिरावट की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इसके उलट कीमतें लगातार बढ़ रही हैं।
राज्य सरकार द्वारा खुदरा बाजारों में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण रखने के लिए गठित टास्क फोर्स के एक सदस्य ने बताया कि लंबे समय तक बारिश और बाढ़ की स्थिति के कारण सर्दियों की फसलें देर से आईं। इसका सीधा असर थोक बाजार में आलू की कीमतों पर पड़ा, जिससे खुदरा बाजार में भी कीमतें बढ़ गईं। उन्होंने यह भी माना कि व्यापारियों द्वारा जमाखोरी भी इस समस्या को बढ़ा रही है।
आलू के अलावा, अन्य सब्जियों की कीमतें भी उच्च स्तर पर बनी हुई हैं। सर्दियों में लोकप्रिय हरी मटर 120 रुपये प्रति किलो बिक रही है, जिससे उपभोक्ताओं की परेशानी और बढ़ गई है।
इसके साथ ही, रसोई के अन्य आवश्यक सामानों की कीमतें भी आसमान छू रही हैं। लहसुन का दाम 450 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। प्याज 60 से 80 रुपये प्रति किलो बिक रहा है, जबकि अदरक की कीमत 100 रुपये प्रति किलो के आसपास है। इस महंगाई के चलते मध्यवर्गीय परिवारों के लिए अपने बजट में सामंजस्य बैठाना बेहद कठिन हो गया है।