सिलीगुड़ी : लोकसभा चुनाव 2024 की मतगणना संग मंगलवार चार जून को देश भर के साथ-साथ पश्चिम बंगाल राज्य का भी जनादेश आ गया। राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से 29 सीटों पर राज्य की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई। गत 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार तृणमूल कांग्रेस को सात सीटों का लाभ हुआ। गत चुनाव में उसकी कुल 22 सीटें थीं जो इस चुनाव में बढ़ कर 29 हो गईं। वहीं, इस चुनाव में बंगाल में भाजपा को छह सीटों का नुकसान हुआ। वह राज्य में 18 से घट कर 12 सीट पर आ गई। भाजपा को दक्षिण बंगाल में नुकसान पहुंचा लेकिन उत्तर बंगाल में उसका जलवा कायम रहा। गत 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को दक्षिण बंगाल में 34 में से 11 सीटें मिली थीं जो इस बार घट कर छह हो गईं। वहीं, तब,उत्तर बंगाल में उसे आठ में सात सीटें मिली थीं जो इस बार मात्र एक कम हुई और छह बची रही। इस बार उत्तर बंगाल से एक कूचबिहार की सीट भाजपा के
हाथ से निकल गई जिस पर भाजपा
उम्मीदवार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशिथ प्रमाणिक की तृणमूल कांग्रेस के जगदीश चंद्र बर्मा बासुनिया के हाथों हार हो गई।वहीं, दक्षिण बंगाल में भाजपा अपनी 11 में से सात सीटें आसनसोल, झाड़ग्राम,मेदिनीपुर, बर्द्धमान दुर्गापुर, बैरकपुर,हुगली व बांकुड़ा गंवा बैठी। दिलीप घोष, एसएस अहलूवालिया, लाकेट
चटर्जी, अर्जुन सिंह व देबश्री चौधरी
जैसे भाजपा के दिग्गजों को हार का
सामना करना पड़ा। हालांकि, तमलुक व कांथी दो नई सीटों पर भाजपा की जीत हुई। ये सीटें पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा नेता सुर्वेदु अधिकारी के परिवार के प्रभाव वाली सीटें हैं। तमलुक से भाजपा उम्मीदवार अभिजीत गंगोपाध्याय जीते हैं जो कलकत्ता हाई कोर्ट के जज के पद से इस्तीफा देकर चंद महीने पहले ही भाजपा में शामिल हुए थे। उन्होंने राज्य की सत्ता में तृणमूल कांग्रेस की हैट्रिक जीत सुनिश्चित करने हेतु “खेला होबे” का नारा देने वाले युवा नेता देबांग्शु भट्टाचार्य को हराया है। वहीं, कांथी सीट पर सुवेंदु अधिकारी के भाई सौमेंदु अधिकारी की जीत हुई है। इससे पूर्व इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर सुवेंदु अधिकारी के पिता शिशिर कुमार अधिकारी लगातार तीन बार सांसद निर्वाचित होते रहे थे। तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी के बाद उनके भतीजा अभिषेक बनर्जी के बढ़ते वर्चस्व के चलते वर्ष 2020 से अधिकारी परिवार तृणमूल कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गया था।इस लोकसभा चुनाव के बाद अब बंगाल में कांग्रेस दो से घट कर एक सीट वाली रह गई है। एकमात्र मालदा दक्षिण सीट ईसा खान चौधरी बचा पाए। वह एबीए गनी खान चौधरी के भतीजा और इसी सीट के 2009 से 2024 तक लगातार तीन बार सांसद रहे अबू हाशेम खान चौधरी के पुत्र हैं। उन्होंने भाजपा उम्मीदवार श्रीरूपा मित्रा चौधरी (निर्भया दीदी) को हराया है। वहीं, मुर्शिदाबाद जिला की बहरमपुर सीट से कांग्रेस के दिग्गज और लोकसभा में विपक्ष के नेता रहे पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी हार गए। उन्हें तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्टार क्रिकेटर यूसुफ पठान ने हराया है। पश्चिम बंगाल राज्य पर 1977 से 2011, लगातार 34 वर्षों तक राज करने वाले मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नीत वाममोर्चा की बात करें तो वह इस चुनाव में एकदम साफ हो गया है।