तृणमूल के 5 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग के दफ्तर में जाकर फर्जी वोटर पर शिकायत दर्ज करवाई है। आरोप है कि भाजपा अन्य राज्यों के मतदाताओं को राज्य की मतदाता सूची में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय चुनाव आयोग से हाथ मिला रही है। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने यह आरोप लगाते हुए पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को राज्य की मतदाता सूची में फर्जी मतदाताओं को पकडऩे के लिए मैदान में उतरने का आदेश दिया था। पिछले गुरुवार को पार्टी नेता के निर्देश के बाद तृणमूल नेताओं, मंत्रियों और सांसदों ने कई कदम उठाए। लेकिन इसके बाद भी तृणमूल इस बात का कोई आंकड़ा नहीं दे सकी कि राज्य में अब तक मतदाता सूची में कितने फर्जी मतदाता पाए गए हैं।
गुरुवार को पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में राज्य मंत्री फरहाद हकीम ने कहा कि यह संख्या हजारों-लाखों में है। विपक्ष पूछ रहा है कि क्या तृणमूल लोगों को गुमराह करने के लिए फर्जी मतदाताओं की बात फैला रही है?फर्जी मतदाताओं को पकडऩे के लिए ममता बनर्जी द्वारा गठित 36 सदस्यीय समिति की पहली बैठक गुरुवार को तृणमूल भवन में हुई। बैठक के बाद तृणमूल प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी दिव्येंदु दास से मुलाकात की। टीम में फिरहाद हकीम, अरूप बिस्वास, चंद्रिमा भट्टाचार्य और रीतोब्रत बनर्जी शामिल थे।
बैठक के बाद फिरहाद ने संवाददाताओं से कहा कि हमने विशेष रूप से मांग की है कि जब कोई ऑनलाइन आवेदन करता है, तो उसे सत्यापन के लिए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना होगा। यह सत्यापन बीएलओ और बीएलआरओ के माध्यम से किया जाना चाहिए। इसके अलावा, भारत निर्वाचन आयोग को एक विशिष्ट पहचान संख्या जारी करनी होगी। चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पहले हमारे मतदाता कार्ड पर यह स्पष्ट रूप से लिखा होता था कि हम किस विधानसभा और किस लोकसभा के मतदाता हैं। अब वे जानबूझकर इसके साथ खेलकर कुछ नया बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर आयकर, पासपोर्ट और आधार में यूनिक आईडी है तो फिर मतदाता पहचान पत्र में यूनिक आईडी क्यों नहीं होगी? यह हमारी मांग है। अन्यथा हम बड़ा आंदोलन करेंगे।
अरूप बिस्वास ने कहा कि एक ही नंबर के कई वोटर कार्ड हैं। लेकिन चुनाव आयोग चुप क्यों है? इसके पीछे उद्देश्य क्या है?इसके तुरंत बाद पत्रकारों ने पूछा कि तृणमूल अब तक कितने फर्जी मतदाताओं की पहचान कर पाई है। जवाब में फिरहाद ने कहा कि हमने वह जानकारी सांख्यिकी आयोग को सौंप दी है। मैं भविष्य में और अधिक दूंगा। यह संख्या हजारों, लाखों में है। हमने कुछ उदाहरण दिए हैं
आधार-पासपोर्ट की तरह वोटर कार्ड का हो यूनिक आईडी नंबर
